दोस्तों,नवरात्र में सभी श्रद्धालु भक्त अपने अपने घर में कलश-स्थापन कर,देवी दुर्गा के सम्मुख‘दुर्गा सप्तशती’ का पाठ करते हैं,जो भक्त संस्कृत में दुर्गा सप्तशती के पाठ को नहीं कर पाते हैं,वह इसका हिंदी अनुवाद पढ़ते हैं।
मगर अगर दुर्गा सप्तशती का हिंदी पाठ कविता के रूप में किया जाए तो कितना मजा आएगा कितना अच्छा लगेगा ।
तो ,जी हां दोस्तों ,अब मैं आपके सम्मुख हिन्दी महाकाव्य “चंण्डी”, जो संपूर्ण दुर्गा- सप्तशती के, संस्कृत रचित तेरहों अध्यायों का, हिंदी कवितानुवाद है,को प्रस्तुत कर रहा हूं । अब से जो श्रद्धालु भक्त पहले संस्कृत का ठीक से उच्चारण ,ना करने के कारण सीधे हिंदी मे , दुर्गा सप्तशती का पाठ करते थे, वह भक्त अब इस ग्रंथ को देखकर उसका हिंदी कविता के रूप में भी पाठ कर सकते हैं |